प्राचीन काल में स्त्री-पुरुष के लिए दरवाजा खटखटाने की होती थी दो अलग-अलग कुंडी

Subhash Kumar.
प्राचीन काल में लकड़ी से बने दरवाजे का उपयोग घरों में बहुतायत में होता था। यह दरवाजे बहुत अधिक मजबूत हुआ करते थे। और साथ ही इसमें आकर्षक डिजाइन भी हुआ करती थी, जो सभी का मन मोह लेती थी। इसके साथ ही दरवाजे को खटखटाने के लिए दो अलग-अलग प्रकार की कुंडी का प्रयोग होता था।
जब कभी किसी के घर में कोई महिला जाती थी और उसे दौरान वह दरवाजे की कुंडी खटखटाती तो अंदर से कोई महिला ही दरवाजा खोलने के लिए द्वार पर आती थी। अब आप ऐसे में सोच रहे होंगे कि उन्हें पता कैसे चलता था कि द्वार पर महिला है या पुरुष? दरअसल द्वारा में लगी हुई हल्की कुंडी एवं भारी कुंडी के माध्यम से दरवाजे को खटखटाया जाता था।

साभार गूगल
जब किसी के द्वार पर कोई महिला खड़ी होती थी उसे दौरान वह हल्की कुंडी से दरवाजे को खटखटाती थी, और जब पुरुष द्वारा पर जाते थे तो भारी कुंडी से दरवाजा खटखटाया जाता था। ऐसे में द्वार खोलने के लिए दरवाजे की ध्वनि सुनकर स्त्री या पुरुष ही बाहर आते थे।
हालांकि धीरे-धीरे आधुनिकता के दौर में यह प्रथा विलुप्त हो गई और अब कहीं भी देखने को नहीं मिलती है लेकिन पुराने जमाने में इस प्रकार से दरवाजे को बनाया जाता था ताकि लोगों को द्वार पर कोई स्त्री है या पुरुष यह भी पता चल सके और उसके सम्मान के लिए स्त्री अथवा पुरुष ही बाहर आए।