भिंड में सदर बाजार से बस स्टैंड तक हाथ-ठेले विक्रेताओं का आतंक, नगर पालिका फेल!

भिंड में सदर बाजार से बस स्टैंड तक हाथ-ठेले विक्रेताओं का आतंक, नगर पालिका फेल!

भिंड, (इमरान अली खान की रिपोर्ट): इन दिनों शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई है। चाहे इसे भ्रष्ट सिस्टम का हिस्सा कहा जाए या राजनीति चमकाने के लिए मनमानी, अक्सर इस ज्वलनशील समस्या पर कोई ध्यान नहीं देता। बाजारों में सबसे पहले सदर बाजार को खाली कराने के लिए नगर पालिका (नपा) के कर्मचारियों को हाथ-ठेले हटाने हेतु हॉकर्स ज़ोन बनाना पड़ा, जिसमें लगभग 98 लाख रुपये का खर्च आया। लेकिन आज तक उस हॉकर्स ज़ोन को सुचारू रूप से चालू कराने के लिए कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसका परिणाम शून्य ही नजर आया।

सदर बाजार के बाद, हाथ-ठेले विक्रेताओं की यूनियन ने शासकीय अस्पताल, शासकीय क्रमांक 01 स्कूल, एसबीआई बैंक और बस स्टैंड तक पहुँचने वाली सड़कों को दोनों ओर से निशाना बना लिया है। इसके कारण आए दिन ट्रैफिक जाम, टमटम चालकों की टक्कर और मारपीट जैसी घटनाएं बढ़ने लगी हैं। जबकि प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए हॉकर्स ज़ोन में आज भी दुकानें खाली पड़ी हैं, नपा ने वहां किसी प्रकार की दुकान लगाने की कार्यवाही नहीं की।

हाथ-ठेले विक्रेताओं से नपा की प्रत्येक दिन बसूली होती है, इसी कारण इन स्थानों पर हाथ-ठेले की संख्या लगातार बढ़ रही है। एक ही व्यक्ति के पास बीस हाथ-ठेले हैं, जिनसे रोज़ाना प्रत्येक ठेले का किराया सौ रुपये वसूला जाता है। इस प्रकार राजस्व को बिना किसी प्रयास के 60 हजार रुपये प्रतिदिन प्राप्त होते हैं। यह गतिविधि राजनेताओं के संरक्षण में बड़े ही आसानी से चल रही है।

ट्रैफिक पुलिस भी अक्सर आँखें मूंदकर देखती है, जिससे सुबह से लेकर शाम तक जाम की स्थिति बनी रहती है। इसलिए नपा को चाहिए कि हाथ-ठेले विक्रेताओं को चिन्हित करके नाम-सूची बनाएं और उन्हें हॉकर्स ज़ोन में स्थापित करें। इससे बाजारों में जाम, विवाद और दुर्घटनाओं जैसी समस्याओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।

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