दिल्ली से आए राष्ट्रीय स्तर के एफएसएल अधिकारी ने पुलिस अधिकारियों के लिए की कार्यशाला आयोजित

ग्वालियर। वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर यदि किसी भी मामले की जांच की जाए तो उसमें किसी निर्दोष के फंसने और दोषी के बचने की संभावना न के बराबर रहती है। न्यायालय भी वैज्ञानिक साक्ष्यों को दृष्टिगत रखते हुए अपने जजमेंट पास करता है। सबूत के तौर पर मानव के प्रभावित होने की संभावना ज्यादा रहती है जबकि मौके पर भौतिक साक्ष्यों को गंभीरता से एकत्रित किया जाए तो वह कहानी के पीछे की हकीकत बयां करने में कारगर साबित होते हैं। ऐसे में किसी व्यक्ति के जल जाने, हत्या या फांसी लगाने एवं रेलवे ट्रैक पर किसी व्यक्ति की लाश मिलने में हादसा हत्या अथवा आत्महत्या इन सबके बारे में आसानी से समझा जा सकता है।
क्योंकि खून कभी झूठ नहीं बोलता। यह बात दिल्ली से आए राष्ट्रीय स्तर के एफ एस एल अधिकारी हर्ष शर्मा ने अपनी कार्यशाला के दौरान व्यक्त किये। उन्होंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आईजी अरविंद सक्सेना एसपी राजेश चंदेल सहित करीब 80 पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों की मौजूदगी में वैज्ञानिक साक्ष्यों का महत्व समझाया।
उन्होंने कहा कि खून सब सच बयां कर देता है लेकिन उसे समझने की जरूरत है। वही रेंज के आईजी अरविंद सक्सेना ने कहा कि पुलिस विवेचना में जुटे अधिकारियों को यह कार्यशाला बेहद उपयोगी साबित होगी। जिसमें किसी दोषी के बचने की संभावना न के बराबर होगी और निर्दोष के फंसने की संभावना भी न के बराबर होगी। घटना के भौतिक एवं वैज्ञानिक साक्ष्य वारदात की असल वजह बताने में अभियोजन के लिए कारगर साबित होते हैं।